कोल्हापुर और रेल सुविधाएँ
कोल्हापुर श्री महालक्ष्मी का निवास नगर दक्षिण महाराष्ट्र के इतिहासिक और स्वतंत्र भारत के बड़ी तेजी से प्रगति की राह पर अगरसर शहरों में से एक है , परन्तु जब आवागमन की सुविधाओं विशेषकर रेल यात्रा की बात आती है तो यह प्रगति पथ का राही शहर पिछड़ता ही नज़र आता है | दक्षिण महाराष्ट्र का महत्वपूर्ण नगर होने के साथ साथ कोल्हापुर पर्यटन के हिसाब से भी महत्वपूर्ण है इतना ही नहीं प्राकर्तिक सोंदर्य से परिपूर्ण कोंकण क्षेत्र के लिए भी कोल्हापुर प्रवेश द्वार का काम करता है | श्री महालक्ष्मी का गृह नगर होने के कारण प्राचीन काल से ही कोल्हापुर को दक्षिण कशी भी कहा जाता है | प्रश्न ये है कि धार्मिक महत्त्व और पर्यटन की इतनी संभावनाएं होने के बाद भी कोल्हापुर कियूं रेल सुविधाओं के आभाव से जूझ रहा है |
कोल्हापुर की रेल सुविधाओं के आभाव का मूल एक तो कोल्हापुर पुणे मार्ग पर एकल रेल लाइन तो है ही साथ साथ नियोजित विकास का भी आभाव है | प्रायः यह कहा जाता है कि कोल्हापुर रेल सुविधाओं के विस्तार में कोल्हापुर रेल स्थानक के लिए सिमित स्थान होना एक बहुत बड़ी रुकावट है परन्तु यदि थोडा सा भी ध्यान दिया जाये तो शहर के मध्य भाग से केवल मात्र ५-६ किलोमीटर की दूरी पर बसे गांधीनगर [वलिवाड़े] को शहर के दुसरे रेल स्थानक के रूप में विकसित किया जा सकता है | अथवा ऐसा भी किया जा सकता है कि मार्केट यार्ड के पीछे जन्हाँ पर अभी मालगाड़ियों के रुकने का इंतजाम है उसे नए रेल स्थानक में बदल दिया जाये और मालगाड़ियों के लिए गांधीनगर अथवा रुकड़ी [शहर से लगभग १२-१३ किलोमीटर दूर] में इंतजाम किया जाये |
कोल्हापुर पुणे मार्ग पर दोहरी लाइन का इंतजाम होने से न केवल समय की बचत होगी परन्तु साथ साथ इस मार्ग पर रेलगाड़ियों की संख्या भी बडाई जा सकती है इसके सिवाय पुणे रेल स्थानक की कुछ गाड़ियों को कोल्हापुर तक बड़ा कर न केवल पुणे रेल स्थानक का भार कम किया जा सकता है परन्तु साथ में कोल्हापुर से दूर दूर के शहरों के लिए सीधी रेल सेवा भी उपलब्ध करायी जा सकती है |
कोल्हापुर पुणे मार्ग के दोहरीकरण के लिए कई बार सर्वे भी हो चूका है परन्तु निधि के आभाव में हर बार इसे स्थगित किया जाता रहा है यहाँ पर मेरा एक सुझाव हैं कि महाराष्ट्र में वैसे भी सहकारिता की परंपरा राही है और निजी निवेशकर्ताओं के द्वारा सड़क निर्माण में महाराष्ट्र देश के अन्य राज्यों से काफी आगे है अतः ऐसा भी किया जा सकता है कि पुणे कोल्हापुर रेल मार्ग के दोहरीकरण के खर्च के के लिए निजी क्षेत्र को निवेश करने के लिए कहा जाये और खर्च हुई रक्कम १% के माहवारी व्याज के साथ वापस कि जाये जिसके लिए इस मार्ग पर यात्रा करनेवालों से जब तक खर्च वसूली नहीं हो जाती है तब तक अधिभार लिया जाये | यहाँ पर ध्यान देने कि बात होगी कि यह अधिभार किसी पूर्व निश्चित समय सीमा के लिए नहीं होगा जिस दिन भी खर्च कि गयी रक्कम और व्याज पूरा हो जायेगा उसी दिन से यह यात्रा अधिभार बंद हो जायेगा | वर्तमान में तांत्रिक सुविधाओं के कारण ये संभव है कि इस मार्ग के हर रेल स्थानक पर इस योजना का खर्च और प्रितिदिन जमा होने वाले यात्री किराये और अधिभार का विवरण प्रदर्शित किया जा सके जिससे आम आदमी को जानकारी मिलती रहे और पारदर्शिता भी रहे |
इस समय, जो निश्चित ही पांच वर्षों से कम का होगा अथवा ऐसा नियोजन किया जा सकता है जिससे इस मार्ग पर यात्रा करनेवालों को अधिकतम पांच वर्षों के लिए अधिभार देना पड़े, के लिए रेल परिचालन का खर्च रेल विभाग द्वारा किया जाये | रेल विभाग को इन पांच वर्षों में जो आर्थिक नुकसान होगा उसकी भरपाई भविष्य में होने वाली आय से हो जाएगी | निजी निवेशकर्ता को लाभ के रूप में इस मार्ग के रेल स्थानकों पर स्वयं द्वारा अथवा उनके द्वारा नियुक्त संस्था द्वारा १० वर्षों तक खानपान सम्बन्धी व्वयस्था करने का अधिकार दिया जा सकता है, साथ ही मार्ग के मुख्य मुख्य रेल स्थानकों पर ५०० वर्ग फीट तक का स्थान वाणिज्य गतिविधियों के लिए २० वर्ष की कालावधि के लिए मुफ्त दिया जाये |
कोल्हापुर रेल विकास के लिए कोल्हापुर को कोंकण रेल से जोड़ दिया जाये जिसके लिए १०० किलोमीटर से भी कम के नए रेल मार्ग की आवश्यकता है | कोंकण रेल से जुड़ने के कारण न केवल कोल्हापुर सदूर दक्षिणी राज्यों से जुड़ जायेगा परन्तु देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के लिए एक नया रेल मार्ग भी उपलब्ध होगा | इसी प्रकार कोल्हापुर नागपुर के नए रेल मार्ग [पंढरपुर होकर ] पर भी रेल गाड़ियों की संख्या बढाकर कोल्हापुर रेल सुविधायों का विस्तार किया जा सकता है |
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